राज्य के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है होली से पहले उन्हें बड़ा तोहफा मिलेगा। इसके साथ ही उनके वेतन बढ़कर 30000 से 32000 रुपए तक हो सकते हैं।
दरअसल उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी।राज्य के कर्मचारियों के लिए की खबर है। होली से पहले उनके मानदेय में वृद्धि की जाएगी। इसके साथ ही उन्हें मार्च के महीने से बढ़ी हुई राशि का भुगतान किया जाएगा। इस संबंध में शिक्षा मंत्री द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। कर्मचारियों के वेतन में 50 फीसद की वृद्धि देखने को मिलेगी। इससे पहले उनके वेतन में 25% तक की वृद्धि की गई थी।
स्थानांतरण पदस्थापन नियमावली को मंजूरी
झारखंड राज्य में अब शिक्षा परियोजना के कर्मी एक जिले में अधिकतम 3 साल तक और एक प्रमंडल में 6 वर्ष तक अपनी सेवा दे सकेंगे। इसके साथ ही उनके तबादले इन वर्षों की सेवा के बाद ही किए जाएंगे। झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारिणी परिषद द्वारा कर्मचारियों के स्थानांतरण पदस्थापन नियमावली को भी मंजूरी दे दी गई। यह बता दें कि इससे पहले तक राज्य में कर्मचारियों के तबादले के लिए कोई नियमावली नहीं थी।
मानदेय में 50 फीसद तक की वृद्धि
इसके साथ ही झारखंड के शिक्षा परियोजना के तहत कार्यरत बीआरपी सीआरपी के मानदेय में 50 फीसद तक की वृद्धि की जाएगी। शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो द्वारा प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। यह प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जाएगा। मानदेय में वृद्धि के साथ ही होली से पहले उन्हें बड़ा तोहफा मिलेगा। मानदेय आठ हजार से लेकर 8750 रूपए तक बढ़ाए जा सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले बीआरपी सीआरपी के मानदेय में 2019 में वृद्धि की गई थी। इस दौरान उनके वेतन में 25 फीसद तक का इजाफा किया गया था। इसमें पारा शिक्षक शिक्षा परियोजना के कर्मचारी के मानदेय में वृद्धि हुई थी। अब बीआरपी सीआरपी के मानदेय में वृद्धि का निर्णय लिया गया है। इसका फायदा लाखों कर्मचारियों को होगा। इसके साथ ही उनके वेतन बढ़कर 30 से 32 हजार रुपए हो सकते हैं।
वही अभी झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारी परिषद के समक्ष कर्मियों के स्थानांतरण नियमावली का मामला मंजूर कर लिया गया है। इससे पहले नियमावली के मामले को झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यकारी परिषद के समक्ष रखा गया था। जिसके बाद कार्यकारिणी परिषद के निर्देश पर झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा नियमावली तैयार की गई थी।
नियम तय
इसके नियम तय किए गए हैं। जिला स्तर पर नियुक्त कर्मचारी एक प्रकरण में अधिकतम 3 साल तक रह सकेंगे। जिला स्तरीय पदाधिकारी और कर्मचारी जिनकी नियुक्ति राज्य स्तर से हुई है, वह 1 जिले में तीन और प्रमंडल के अंतर्गत 6 वर्ष तक अपनी सेवा दे सकेंगे। इसके साथ ही प्रशासनिक आधार पर उनके तबादले का प्रावधान किया गया है।