कैंसर एक जानलेवा बीमारी मानी जाती है। इसके पीछे वजह जल्दी डायग्नोज न होना है। शुरुआत में कैंसर के कोई लक्षण उभरकर सामने नहीं आते हैं और जब लक्षण दिखाई देने शुरू होते हैं। तब तक काफी देर हो चुकी होती है। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मामलों में कैंसर के प्राइमरी लक्षण नहीं दिखते, जबकि कुछ में दिख जाते हैं। उन्हें किसी भी सूरत में इग्नोर नहीं करना चाहिए। जैसे ही बच्चे में लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। हो सकता है कि कैंसर पहली स्टेज में हो और पूरी तरह से बच्चा स्वस्थ्य भी हो जाए।

क्या होते हैं बच्चों में कैंसर के लक्षण

जिस तरह एडल्ट में कैंसर या अन्य बीमारी के लक्षण देखने को मिलते हैं। इसी तरह बच्चों में भी कैंसर के लक्षण सामने आते हैं। इसमें पीठ में दर्द होना, बार बार बुखार होना, हडिडयों में कमजोरी, बॉडी का पीला पड़ना, आंखों की पुतलियों में बदलाव आना, गले या पेट में गांठ का अहसास होना, भूख न लगना, तेजी से वजन कम होना जैसे सिम्पटम्स देखने को मिलते हैं।

किन बच्चों में संभावना अधिक होती है

जो बच्चे डाउन सिंड्रोम का शिकार हैं। उनमें कैंसर होने की संभावना बेहद अधिक हो सकती है। एक चीज और नोट करने वाली है। कैंसर जेनेटिक भी होता है। यानि दादा से पिता और पिता से बेटे के जीन्स में कैंसर जनित तत्व चले जाते हैं। यदि पारिवारिक इतिहास है तो समय समय पर बच्चे का बॉडी चेकअप कराते रहें। यदि कैंसर संबंधी सेल्स उभर रही हैं तो उनके जल्दी डिटेक्ट होने की संभावना होती है। जंकफूड्स जैसे पिज्जा, बर्गर, चाउमिन, फ्रेंच फ्राइस भी कैंसर कारक के तौर पर देखी गई हैं। इसके अलावा यदि बच्चा कम एक्टिव है तो भी बीमारी की चपेट में आने की संभावना है।

बचाव के कुछ उपाय किए जा सकते हैं

मां के बच्चे में विशेष प्रोटीन और पोषक तत्व हैं। यह कैंसर समेत अन्य बीमारियों से बचाव करते हैं। छह महीने तक के बच्चे को मां का दूध पिलाने की तरजीह देनी चाहिए। इससे बच्चे में कैंसर होने की संभावना बेहद कम रहती है। नवजात या थोड़े अधिक बड़े बच्चे को धूप में नहीं रखना चाहिए। सूरज से निकलने वाली यूवी किरणें स्किन कैंसर का खतरा बढ़ा सकती हैं। प्रदूषण से बचा कर रखें। 11 से 12 साल के बच्चे को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन जरूर लगवा देनी चाहिए। इसके अलावा जो भी नियमित टीके हैं। उनको भी लगवाना न भूलें।

भयावह हैं बच्चों में कैंसर होने के आंकड़ें

रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के आंकड़ों में सामने आया है कि देश में हर साल करीब 14 लाख कैंसर के केस मिलते हैं। इनमें से आठ लाख लोग कैंसर से जान गवां बैठते हैं। कुल कैंसर मामलों में से चार प्रतिशत मामले बच्चों से जुड़े होते हैं। दिल्ली में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। एम्स कैंसर सेंटर और एम्स नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दिल्ली में हर साल कैंसर के 22 हजार नए केस सामने आ रहे हैं।

 

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