डॉ.समरेन्द्र पाठक वरिष्ठ पत्रकार

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात में सूरत की एक सत्र द्वारा जमानत दिए जाने से तत्काल राहत तो मिली है, मगर उनकी संसद सदस्यता की बहाली एवं चुनाव लड़ने को लेकर संशय बरकरार है।

श्री गांधी को सूरत की एक निचली अदालत ने गत माह मानहानि के एक मामले में दो साल की सजा सुनाई थी।इसके तुरंत बाद उनकी संसद सदस्यता समाप्त कर दी गयी थी।उन्होंने 3 अप्रैल 2023 को इस सजा के खिलाफ सत्र अदालत में चुनौती दी।सत्र अदालत ने उन्हें तत्काल राहत देते हुए संपूर्ण मामले पर सुनवाई की अगली तारीख तय की है।इस दौरान उनकी संसद सदस्यता की बहाली एवं चुनाव लड़ने आदि पर सुनवाई होगी।

उधर इस मामले को लेकर संपूर्ण विपक्ष ने श्री गांधी के पक्ष में जिस तरह से एकजुटता दिखाई है,उससे 2024 के आम चुनाव को लेकर विपक्षी गठजोड़ की संभावना बढ़ गयी है।इस मसले पर संपूर्ण देशभर में विपक्ष उसी तरह एकजुट हुए हैं,जिस तरह वर्ष 1978 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सांसदी समाप्त किये जाने के बाद देश में लोग एकजुट हुए थे।

राजनीतिक पंडितों की माने तो अगर श्री गांधी को जेल जाने की नौबत आएगी तो वैसी ही स्थिति उत्पन्न होगी जैसी श्रीमती गांधी की वर्ष 1980 में सत्ता में वापसी हुई थी।कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को उसी रूप में लेने का खाका भी बनाया है और संसद से सड़क तक पार्टी जनों का घमासान इसी रणनीति का हिस्सा है।

श्री गांधी ने इसी रणनीति के तहत कल सूरत की सत्र अदालत में अपील की।उधर संसद के दोनों सदनों में अडानी मामले की जेपीसी जांच की मांग को लेकर कांग्रेस सहित संपूर्ण विपक्ष आक्रामक रहा।दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल सकी।सत्ता पक्ष ने श्री गांधी के विदेश में दिए गए भाषण को लेकर उनसे मांफी मांगने की मांग दोहरायी।

दरअसल श्री गांधी ने गत दिनों सड़क से संसद तक अडानी को लेकर जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं एवं केंद्र सरकार की घेराबंदी की उससे बेचैनी स्वभाविक है।वैसे भी उत्तर भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिसा, बिहार,झाड़खंड,दिल्ली,
हरियाणा, पंजाब,राजस्थान से लेकर दक्षिण कई राज्यों में पार्टी विरोधी मजबूत सरकारें होने से केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है।इसके बाबजूद भाजपा वर्ष 2024 के आम चुनाव को लेकर आशान्वित है।

हालांकि कांग्रेस नेता श्री गांधी की लंबी पद यात्रा ठीक उसी तर्ज पर रही,जैसी उनकी दादी इंदिरा गांधी ने वर्ष 1977 में चुनाव हारने के बाद की थी।श्रीमती गांधी उस दौरान देश के लगभग सभी स्थानों का दौरा की थी।उन्होंने हाथी से बाढ़ क्षेत्र का भी दौरा किया था।

राजनीति के जानकार बताते हैं,कि श्री गांधी की दक्षिण से कश्मीर तक यात्रा से कांग्रेस की स्थिति में काफी सुधार आया है। श्री गांधी ने गांवों से गांवों को जोड़ो अभियान के तहत दक्षिण भारत में पद यात्रा की शुरुआत की थी।इस यात्रा में उमड़ती भीड़ से सत्तारूढ़ दल की परेशानी बढ़ गयी थी।

हालाँकि इस यात्रा से पहले कांग्रेस की बढ़ती मंहगाई एवं बेरोजगारी के खिलाफ संसद से सड़क तक राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन से न सिर्फ कार्यकर्ताओं में नया जोश देखा गया था,वल्कि आम जनों में भी आशा की किरण जगी थी।कांग्रेस के इन कार्यक्रमों से जनाधार खो चुकी पार्टी को नया जीवन मिला।श्री गांधी सशक्त नेता के रूप में उभर कर सामने आये।

श्री गांधी की इस यात्रा एवं जनसरोकार को लेकर सड़क से संसद तक उनकी मुखरता को पुराने कांग्रेसी1978 की तुलना में देख रहे हैं।उनका कहना था,कि नेहरू गांधी परिवार सामाजिक सरोकार से जुड़े मसले को लेकर जिस तरह से सड़क पर उतरा है,उससे यह दिखने लगा है,कि अब कांग्रेस नयी जोश में लौट रही है।

ताजा घटना क्रम को लेकर कांग्रेस पूरी तरह सतर्क है।देशभर में पार्टी कार्यकर्ता अलर्ट मूड में हैं।श्री गांधी को अगर जेल जाने की नौबत हुयी तो उनके समर्थन में करोडो कार्यकर्त्ता जेल जायेंगे।इससे सरकार की मुश्किलें बढ़ गयी है।