हम हमारे जीवन में प्रत्येक समय किसी न किसी उम्मीद के सहारे ही तो अपने लक्ष्य की ओर अपने कदम बढ़ाते है। लेकिन कई बार समस्याओ और छोटी छोटी मुश्किलों के चलते हमारे लक्ष्यों और सफलता की ओर बढ़ने वाले यही कदम लडखडाने लगते है। क्योकि इन मुश्किल परिस्थितियों में हमारा आत्म विश्वास कम हो जाता है और हमें छोटे से छोटा काम भी मुश्किलों से भरा और असंभव सा लगने लगता है। लेकिन जोधपुर के देवनगर पुलिस स्टेशन में पदस्थापित पिंटू राणा ने इन सबके बावजूद अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर नजर रखी और उसे हासिल करके ही दम लिया. पिंटू राणा के परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से वे अपनी पढ़ाई भी पूरी तरह से नहीं कर पाए. हालात के चलते पिंटू राणा को एक प्राइवेट कंपनी में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करनी पड़ी.

पिंटू ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भले ही की हो लेकिन उनका लक्ष्य एकदम क्लियर था. लक्ष्य था अच्छी सरकारी नौकरी का. उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए विभिन्न प्रकार की बाधाओं को पार करते हुए राजस्थान पुलिस में सब इंस्पेक्टर की परीक्षा दी. उसमें पिंटू राणा ने सफल अभ्यर्थियों की सूची में 33वी रैंक हासिल की. 14 माह की ट्रेनिंग के बाद 2 सितंबर 2022 को पासिंग आउट परेड में पिंटू राणा के कंधों पर जब स्टार लगाने का मौका आया. पिता पूनमाराम राणा और मां सुखीदेवी ने बेटे के कंधे पर बतौर एसआई दो सितारे लगाए तो वे भावुक हो गए.

पिंटू राणा का कहना है कि उनकी सफलता की कहानी में उनके परिवार और दोस्तों का अहम रोल रहा है. उनके पिता पूनमाराम भील के पास कोई जमीन नहीं थी. वे बंटाई पर खेती करते थे. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पिंटू के सामने पढ़ाई के लिए रुपयों का इंतजाम करने का बड़ा संकट था. तीन भाइयों में पिंटू ने सबसे बड़े पिंटू ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद सांचौर के एक निजी कॉलेज से स्नातक की.

इसी दौरान आजीविका चलाने के लिए पिंटू ने एक निजी कंपनी के ऑफिस में रात को चौकीदारी का काम शुरू किया ताकि परिवार को कुछ सहयोग भी मिलता रहे. लेकिन इस दौरान पिंटू ने पढ़ना नहीं छोड़ा. अपनी जिद और जुनून के चलते पिंटू राणा ने अपने उस लक्ष्य को पा लिया जिसका उन्होंने सपना देखा था.

पिंटू राणा ने सांचोर के सरकारी स्कूल से 12वीं पास की. उसके बाद वहीं से वर्ष 2015 में कॉलेज की पढ़ाई की. फिर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां में जुट गए. खुद की पढ़ाई का खर्चा उठाने और इसके साथ ही परिवार को संबल प्रदान करने के लिए पिंटू राणा ने केयर्न इंडिया कंपनी के सांचोर स्थित कार्यालय में 15 हजार रुपए प्रतिमाह में बतौर सिक्योरिटी गार्ड काम शुरू किया.

पिंटू रात में बतौर सिक्‍योरिटी गार्ड नौकरी करते और दिन में लाइब्रेरी में जाकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते. पिंटू की इस संघर्ष भरी कहानियों का फल सामने आया तो हर कर उनकी तारीफ करने को मजबूर हो गया. पिंटू ये साबित कर दिया कि बाधाएं आपका रास्ता जरुर रोकती हैं लेकिन पकड़कर नहीं बैठती. यह आप पर निर्भर है कि आप बाधाओं के सामने घुटने टेक देते हैं या फिर उन्हें पार करने का जज्बा रखते हैं.