दुनियाभर में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च बढ़ा है। वहीं, दूसरी ओर भारत में ये खर्च पहले के मुकाबले दोगुना हो गया है। जबकि चीन की बात करें तो यहां मेडिकल एजुकेशन की फीस में तीगुनी बढ़ोतरी हुई है। पढ़ाई दिन पर दिन महंगी होती जा रही है। खास तौर से मेडिकल की पढ़ाई की बात करें तो यह लगातार महंगी होती जा रही है। मेडिकल की महंगी होती पढ़ाई के पीछे कुछ लोग यूक्रेन युद्ध को बता रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि यह कोरोना की वजह से हो रहा है। खैर, वजह चाहे जो हो लेकिन उन लोगों के लिए यह महंगी पढ़ाई जी का जंजाल बन गई है जो अपने बच्चे को डॉक्टर बनाने का सपना लिए बैठे हैं।

कितनी बढ़ी है भारत में फीस

लैंसेट आयोग ने 1910 की फ्लेक्सनर रिपोर्ट से शुरुआत करते हुए हेल्थ प्रोफेशनल्स एजुकेशन के सौ साल के इतिहास की जब जांच की तब पता चला कि भारत में मेडिकल की पढ़ाई पहले के मुकाबले लगभग दोगुनी महंगी हुई है. दरअसल, साल 2010 के लैंसेट आयोग ने 1910 की फ्लेक्सनर रिपोर्ट से शुरुआत करते हुए मेडिकल एजुकेशन पर पिछले सौ साल की एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की, इसमें पता चला कि एलिजिबिलटी पर आधारित शिक्षा, इन्टरप्रोफेशनल्स एजुकेशन और एजुकेशन के लिए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी के बड़े पैमाने पर भले ही खूब विकास हुए हैं, लेकिन दूसरी तरफ पढ़ाई भी बेहिसाब महंगी हुई है.

भारत के अलावा चीन की बात करें तो यहां भी मेडिकल की फीस में तीगुनी बढ़ोतरी हुई है. पूरी रिपोर्ट बताती है कि आज अगर आप अपने बच्चे को डॉक्टर बनाना चाहते हैं तो आपका करोड़पति होना जरूरी है, इसके अलावा अगर आप मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं तो आपको अपनी जमीन या घर बेच कर ही अपने बच्चे को पढ़ाना होगा.

इन देशों में सस्ती है मेडिकल की पढ़ाई

भारत समेत पूरी दुनिया में जहां मेडिकल की पढ़ाई महंगी हो रही है, वहीं कुछ देश आज भी ऐसे हैं, जहां मेडिकल की पढ़ाई अन्य देशों के मुकाबले सस्ती है. ये देश हैं रूस, यूक्रेन, बांग्लादेश, नेपाल, स्पेन और जर्मनी. यही वजह है कि भारत में महंगी मेडिकल की पढ़ाई की वजह से भारतीय छात्र अन्ही देशों में ही पढ़ाई करने जाते हैं. आपको बता दें भारत के किसी भी प्राइवेट कॉलेज में अगर अपका बच्चा पढ़ता है तो आपको मेडिकल की पढ़ाई की फीस के रूप में लगभग 60 से 70 लाख रुपए चुकाने होंगे. लेकिन अगर ऊपर बताए गए देशों में आपका बच्चा पढ़ाई करता है तो आपको यहां महज 30 से 35 लाख रुपये ही चुकाने होंगे. यही वजह है कि ज्यादातर भारतीय छात्र इन्हीं देशों में जाकर अपनी मेडिकल की पढ़ाई करते हैं.

 

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