पति की ख्वाहिश को पूरी करने के लिए पत्नी साइंटिस्ट बन गई. अपने शौहर की मदद से उसने पहले ही अटेंप्ट में यह सफलता हासिल कर उनकी इच्छा को पूरा कर दिया. जी हां, अर्शी नाम की यह महिला Indian Space Research Organisation यानि ISRO में जूनियर रिसर्च फेलो चुनी गई हैं.
मध्य प्रदेश में सागर जिले के तिलक गंज में रहने वाले कुरैशी परिवार की बहू अर्शी नाज का इसरो जूनियर रिसर्च फैलो में चयन हुआ है. उनकी इस सफलता से दमोह जिले के लोगों को भी गर्व हो रहा है क्योंकि अर्शी नाज दमोह की बेटी है. दमोह शहर की बेटी अर्शी नाज़ तीन बहनों और एक भाई में दूसरे नंबर की बेटी हैं.अर्शी ने परिवार सहित 2 जिलों का नाम रोशन किया है.
10 साल की उम्र में पिता का साया उठा
जब अर्शी कक्षा दसवीं में थी, तब उनके पिता का साया उनके परिवार से उठ गया. मां खुर्शीद बेगम ने नौकरी करके अपने बच्चों को बेहतरीन परवरिश दी. शेख़ अंजुम कुरैशी के इस दुनिया से जाने के बाद खुर्शीद बेगम ने हौसले से अपने बच्चों को पाला. अर्शी Indian Space Research Organisation यानि ISRO में जूनियर रिसर्च फेलो चुनी गई हैं.
शौहर ने पढ़ाई में आगे बढ़ाया
अर्शी की शादी सागर में 2016 में डॉ. असद उल्लाह कुरैशी से हुई है, जो पेशे से तकनीकी अधिकारी और NIT कुरूक्षेत्र में शोध लेखक भी हैं. शादी के बाद पढ़ाई में असद ने सबसे पहले अर्शी का एडमिशन एम.टेक मे कराया और अर्शी ने भी सम्मान से डिग्री कम्पलीट की. अर्शी ने कठिन परिश्रम से और अपने अथक प्रयास से पहले ही अटेम्प्ट मे जे.आर.एफ. जैसी कठिन परीक्षा पास की है.
महिलाओं की सफलता में परिवार का सहयोग जरूरी
अर्शी के बारे में दुनिया को जानना इसलिए भी ज़रूरी है कि आप अपने घरों की बेटियों, बहुओं का साथ दें, उनकी आंखों में पल रहे सपनों को अमली जामा पहनाने में मदद करें. नौकरी सिर्फ़ पैसों के लिए नहीं होती है, वो खुद पर यक़ीन ऐतबार भी लाती है. अर्शी को मां का साथ मिला उसके बाद पति का साथ मिला तो वहीं असद के पिता और अर्शी के ससुर सम्मी कुरैशी ने भी उन्हें बहू नहीं बेटी की तरह ही माना और उन्होंने शादी के बाद बेटे की इच्छा पर बहू का एम टेक में एडमिशन करवाया था.