दिल्ली में दिन की लंबाई 14 घंटे के पार! जानिए क्यों ढल नहीं रही जल्दी शाम
दिल्ली : शाम ढल रही है, मगर अंधेरा नहीं हो रहा. ये स्थिति किसी और मुल्क की नहीं, अपने दिल्ली एनसीआर, नोएडा और गाज़ियाबाद की है. वैसे तो हम सभी ने जहां-तहां पढ़ा है कि नार्वे लैंड ऑफ मिड नाइट सन कहा जाता है.

दिल्ली : शाम ढल रही है, मगर अंधेरा नहीं हो रहा. ये स्थिति किसी और मुल्क की नहीं, अपने दिल्ली एनसीआर, नोएडा और गाज़ियाबाद की है. वैसे तो हम सभी ने जहां-तहां पढ़ा है कि नार्वे लैंड ऑफ मिड नाइट सन कहा जाता है. वहां सूर्यास्त रात 11 बजे होता है और आधी रात के बाद एक बजे भगवान भास्कर निकल आते हैं. ये आलम फिनलैंड, आईसलैंड का भी है. यहां तक कि कनॉडा,रुस और ग्रीनलैंड में रातों में भी सूरज चमकता रहता है. कई मुल्कों में तो 60 से 90 दिन तक सूरज डूबता ही नहीं. खैर वहां के लोग भी दूसरी जगहों के लोगों की तरह ही काम धंधा करते ही हैं. इन दिनों जब दिल्ली एनसीआर में दिन लंबे हुए और शाम आगे बढ़ गई तो इसकी पूरी वजह समझने का मन होता है.
सभी को पता है कि मार्च से दिन लंबे होने शुरु हो जाते हैं. दिल्ली एनसीआर में मार्च और अप्रैल में सूर्यास्त 7 से 7.15 के बीच तक होता रहता है. जबकि मई जून में अंधेरा शुरू होने का वक्त 7.22 तक पहुंच जाता है. इस इलाके में जून-जुलाई के महीने में दिन 14 घंटे तक का हो जाता है. आकाश में सूर्यदेव तड़के 5.20 के आस पास निकल कर 7.30 तक ड्यूटी पर मुस्तैद रहते हैं. मिसाल के तौर पर 19 जून की बात की जाय तो यहां सूर्योदय 5.22 और सूर्यास्त 7.22 पर है. दरअसल, ये स्थिति दिल्ली एनसीआर के साथ जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड,हरियाणा और कुछ हद तक पंजाब में होती है. यानी 25 से 37 डिग्री नॉर्थ लैटिट्यूड वाले इलाकों में. यहां धरती का झुकाव सूरज की ओर अधिक रहता है.
तकरीबन साढ़े पांच सौ साल पहले निकोलियो कोपरनिकस बता दिया था कि सूर्य अपनी जगह पर रहते हैं और धरती समेत तमाम ग्रह उसी के चारों ओर घूमते रहते हैं. कोपरनिकस को उनके जीवन काल में तबज्जो नहीं दी गई. साल 1543 में उनकी किताब छपी तो दुनिया उनके विचारों को जान सकी. उनके सिद्धांत को जोरदार तरीके से गैलिलियो ने समर्थन किया और उन्हें उस वक्त के चर्च समर्थकों ने हाउस अरेस्ट करा दिया था. खैर ये मूल मसला नहीं है. लेकिन इससे दुनिया को ये पता चल गया कि सूर्योदय का मायने उस इलाके में सूरज का दिखना और सूर्यास्त का का मतलब उस इलाके में सूरज का न दिखना होता है. क्योंकि सूर्य तो हमेशा अपनी जगह पर रहते हैं. लेकिन कहा जाता है – सूर्योदय हुआ और सूर्यास्त हुआ.
तो मसला नोएडा ग़ाजियाबाद में सूर्योदय और सूर्यास्त के अंतर के बढ़ने का है, जो शाम देर से ढलने के तौर पर दिखता है. इसे वैज्ञानिक तौर पर समझने के लिए दिल्ली और आस पास के इलाके की भौगोलिक स्थिति को जानना होगा. एनसीआर 28.6 डिग्री नॉर्थ लैटिट्यूड पर है. ये उत्तरी गोलार्ध में पड़ता है. गर्मियों में खासकर जून के आसपास,समर सॉल्स्टिस (21 या 22 जून) होता है. इस दौरान धरती का उत्तरी हिस्सा सूरज की तरफ ज्यादा झुका होता है. धरती की एक्सिस का 23.5 डिग्री टिल्ट होना इसकी बड़ी वजह है. इस झुकाव से सूरज की किरणें दिल्ली पर लगभग सीधी पड़ती हैं. यही कारण है कि दिन का वक्त बढ़ जाता है. नतीजा ये होता है कि सूरज सुबह जल्दी उगता है और देर से डूबता है. यहां ये भी खयाल रखने वाली बात है कि गर्मियों में एनसीआर का वायुमंडल साफ रहता है और हवा गर्दोगुबार कम होता है.(एजेंसी)