कलिंगा विवि में सीईसीबी और भारत सरकार के सहयोग से ऑप्टिमाइजेशन प्रोफेशनल ट्रेनिंग
कलिंगा विवि में सीईसीबी और भारत सरकार के सहयोग से ऑप्टिमाइजेशन प्रोफेशनल ट्रेनिंग
रायपुर, 20 नवंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि जूलॉजी विभाग (कलिंगा विश्वविद्यालय)के सहयोग से वेस्ट ऑप्टिमाइज़ेशन प्रोफेशनल्स के लिए 60 दिनों के ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के कौशल भारत मिशन के अनुरूप आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया है, जिसमें स्थायी प्रथाओं पर चर्चा की जाएगी, विशेषकर कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
विश्वविद्यालय ने बताया कि इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रतिभागियों को एक मंच पर लाया गया ताकि बढ़ते कचरा उत्पादन के मुद्दे का समाधान खोजा जा सके। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. आलोक कुमार साहू, प्रिंसिपल डायरेक्टर और प्रमुख, रायपुर, छत्तीसगढ़, के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने आधुनिक जीवनशैली में एकल-उपयोग प्लास्टिक, मेडिकल डिस्पोजेबल्स और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के कारण प्लास्टिक कचरे में हो रही खतरनाक वृद्धि पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि डॉ. साहू ने पर्यावरण पर इसके प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया और मिश्रित प्लास्टिक कचरे के लिए पायरोसिस और रिफाइनिंग जैसी उन्नत कचरा प्रबंधन तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के दिशा-निर्देशों और प्लास्टिक कचरे को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे के बारे में भी विस्तार से बताया।
रायपुर, 20 नवंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि जूलॉजी विभाग (कलिंगा विश्वविद्यालय)के सहयोग से वेस्ट ऑप्टिमाइज़ेशन प्रोफेशनल्स के लिए 60 दिनों के ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के कौशल भारत मिशन के अनुरूप आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किया गया है, जिसमें स्थायी प्रथाओं पर चर्चा की जाएगी, विशेषकर कचरा प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
विश्वविद्यालय ने बताया कि इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों, शिक्षकों और प्रतिभागियों को एक मंच पर लाया गया ताकि बढ़ते कचरा उत्पादन के मुद्दे का समाधान खोजा जा सके। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. आलोक कुमार साहू, प्रिंसिपल डायरेक्टर और प्रमुख, रायपुर, छत्तीसगढ़, के उद्घाटन भाषण से हुई। उन्होंने आधुनिक जीवनशैली में एकल-उपयोग प्लास्टिक, मेडिकल डिस्पोजेबल्स और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के कारण प्लास्टिक कचरे में हो रही खतरनाक वृद्धि पर जोर दिया।
विश्वविद्यालय ने बताया कि डॉ. साहू ने पर्यावरण पर इसके प्रभाव का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया और मिश्रित प्लास्टिक कचरे के लिए पायरोसिस और रिफाइनिंग जैसी उन्नत कचरा प्रबंधन तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक उत्पादों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो के दिशा-निर्देशों और प्लास्टिक कचरे को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे के बारे में भी विस्तार से बताया।