ट्रंप के टैरिफ अधिकार पर संकट! अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ दिनों से कई देशों पर टैरिफ की घोषणा कर रहे हैं। बुधवार को उन्होंने भारत पर भी 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने वाले बयान पर कनाडा को व्यापारिक समझौते

डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ दिनों से कई देशों पर टैरिफ की घोषणा कर रहे हैं। बुधवार को उन्होंने भारत पर भी 25 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया। फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने वाले बयान पर कनाडा को व्यापारिक समझौते के नाम पर धमकी दी है। ट्रंप के मनमाने टैरिफ ऐलान पर अमेरिका में ही घमासान मचा हुआ है। गुरुवार को अमेरिका की अदालत इस बात पर फैसला लेगी कि क्या ट्रंप ने विदेशी सामानों पर आयात शुल्क लगाकर अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है या नहीं? अमेरिका के 12 राज्यों और छोटे व्यापारियों ने ट्रंप के टैरिफ पावर को अदालत में चैलेंज किया है।
ट्रंप ने अप्रैल और फरवरी में चीन, कनाडा, मैक्सिको और कई अन्य देशों से आने वाले उत्पादों पर भारी टैरिफ लगा दिए थे। उनका तर्क था कि ये कदम अमेरिका की अर्थव्यवस्था, नौकरियों और ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए जरूरी हैं। लेकिन अब ये फैसले कानूनी मुश्किलों में फंस गए हैं।
12 राज्यों और छोटे व्यापारियों की चुनौती
ट्रंप के इन फैसलों के खिलाफ अमेरिका के 12 डेमोक्रेटिक शासित राज्यों और 5 छोटे व्यापार संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि राष्ट्रपति को इस तरह से अकेले फैसला लेने का हक नहीं है। संविधान के मुताबिक टैक्स और टैरिफ से जुड़ा अधिकार सिर्फ संसद के पास है।
किस कानून के दम पर टैरिफ लगा रहे ट्रंप
ट्रंप ने IEEPA नाम के एक पुराने कानून का इस्तेमाल किया है, जिसे आपातकाल की स्थिति में दुश्मन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए लाया गया था। यह कानून 1977 में बना था — लेकिन टैरिफ लगाने के लिए इसका यह पहला इस्तेमाल हुआ है। ट्रंप का कहना है कि ये "राष्ट्रीय आपात स्थिति" है, क्योंकि अमेरिका को व्यापार में भारी घाटा हो रहा है। विदेश से आने वाली फेंटानिल (एक खतरनाक नशीला पदार्थ) की तस्करी नहीं रुक रही है। हालांकि, जिन देशों पर टैरिफ लगे हैं, उन्होंने ट्रंप के इन तर्कों को खारिज कर दिया है।
निचली अदालत भी दे चुकी झटका
इससे पहले मई में एक निचली अदालत ने कहा था कि ट्रंप ने टैरिफ लगाकर अपने अधिकारों की सीमा लांघी है। कोर्ट ने साफ कहा कि IEEPA जैसे कानून का इस्तेमाल सिर्फ "सच्ची आपात स्थिति" में ही किया जा सकता है — न कि पुराने व्यापार घाटे जैसे मामलों में।
क्या सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा मामला?
आज जो सुनवाई होने वाली है, उसमें अमेरिका की अपील अदालत के सभी 11 जज शामिल होंगे। इनमें से 8 को डेमोक्रेट और 3 को रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों ने नियुक्त किया है। अगर फैसला ट्रंप के खिलाफ जाता है, तो माना जा रहा है कि यह मामला सीधा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है।
ट्रंप पर कई मुकदमे
IEEPA के इस्तेमाल को लेकर ट्रंप पर 7 से ज्यादा कानूनी मुकदमे चल रहे हैं। हाल ही में वॉशिंगटन डीसी की एक अदालत ने भी ट्रंप के खिलाफ फैसला सुनाया है। अब तक किसी भी अदालत ने यह नहीं माना कि राष्ट्रपति को बिना सीमा के टैरिफ लगाने का अधिकार है।(एजेंसी)