अनूठी शादी: दो भाइयों की एक दुल्हन, खूब पढ़े लिखे हैं तीनों, एक की तो सरकारी नौकरी है
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की एक शादी पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। दो दूल्हे और एक दुल्हन वाली यह शादी भले ही एक जनजाति की पुरानी परंपरा हो, लेकिन जिन तीन लोगों ने इसे स्वीकार किया है

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की एक शादी पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। दो दूल्हे और एक दुल्हन वाली यह शादी भले ही एक जनजाति की पुरानी परंपरा हो, लेकिन जिन तीन लोगों ने इसे स्वीकार किया है वे काफी पढ़े-लिखे और आधुनिक जीवन जीने वाले हैं। इनमें से एक की सरकारी नौकरी है तो एक ने विदेश में अपना अच्छा करियर बना लिया है।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश की हट्टी जनजाति में 'बहुपति' प्रथा का चलन रहा है, जिसके तहत एक दुल्हन एक से अधिक भाइयों के साथ शादी करती है और सभी एक साथ रहते हैं। इसे 'जोड़ीदार' प्रथा कहा जाता है। हट्टी जनजाति में सदियों से 'बहुपति' प्रथा प्रचलित थी, लेकिन साक्षरता, आधुनिकता और आर्थिक हालात में बदलाव जैसी वजहों से अब इस तरह की शादियां कम होती हैं।
अब सुनीता चौहान नाम की एक लड़की ने दूल्हे प्रदीप और कपिल नेगी से शादी की तो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। लोगों को इसलिए भी अचरज हो रहा है, क्योंकि तीनों बहुत पढ़े लिखे और आधुनिक जीवनशैली को अपनाने वाले लोग हैं। इसके बावजूद उन्होंने अपने पूर्वजों की परंपरा को निभाने का फैसला किया।
शिलाई गांव के रहने वाले दूल्हे प्रदीप सरकारी नौकरी करते हैं। वह हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग में नियुक्त हैं, जबकि उनके भाई कपिल पढ़-लिखकर विदेश में अपना करियर बना चुके हैं। वह हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में जॉब करते हैं। वहीं, इन दोनों की दुल्हन सुनीता भी शिक्षित हैं। वह आईटीआई से प्रशिक्षित टेक्नीशियन हैं। दुल्हन सुनीता चौहान और दूल्हे प्रदीप और कपिल नेगी ने कहा कि उन्होंने बिना किसी दबाव के यह फैसला लिया है।
सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी इलाके में इस विवाह की रस्में 12 जुलाई को शुरू हुई और तीन दिनों तक चली। इस दौरान स्थानीय लोकगीतों और नृत्यों की प्रस्तुति हुई। इस विवाह समारोह के वीडियो इंटरनेट पर प्रसारित हो रहे हैं। कुन्हाट गांव की रहने वाली सुनीता ने कहा कि बचपन से ही वह इस परंपरा के बारे में जानती थीं और उन्होंने अपनी मर्जी से इसे स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि वह इस नए संबंध का सम्मान करती हैं।
प्रदीप ने पीटीआई से कहा,'हमने सार्वजनिक रूप से इस परंपरा का पालन किया, क्योंकि हमें इस पर गर्व है और यह मिलकर लिया गया एक फैसला था।' कपिल ने कहा कि वह भले ही विदेश में रहते हों, लेकिन इस विवाह के माध्यम से, 'हम एक संयुक्त परिवार के रूप में अपनी पत्नी के लिए समर्थन, स्थिरता और प्यार सुनिश्चित कर रहे हैं।' उन्होंने कहा, ‘हमने हमेशा पारदर्शिता में विश्वास किया है।’
क्यों है ऐसी प्रथा?
हट्टी जनजाति के लोगों का कहना है कि इस प्रथा के पीछे सोच परिवार को एकजुट रखने की है। इसके अलावा परिवार की संपत्ति और जमीन के बंटवारा भी इससे रुकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस परंपरा के पीछे मुख्य विचार यह सुनिश्चित करना था कि पैतृक भूमि का बंटवारा न हो। उन्होंने कहा कि पैतृक संपत्ति में आदिवासी महिलाओं का हिस्सा अब भी एक मुख्य मुद्दा है।(एजेंसी)